भोपाल । समूचे प्रदेश में पशुओं की बीमारी लंपी स्किन डिसीज (एलएसडी) के 50 मामले प्रकाश में आ चुके है। बीमारी की गंभीरता को देखते हुए जांच के लिए सैंपल उच्च सुरक्षा अनुसंधान प्रयोगशाला में भेजे जा रहे हैं। यह मामले गाय और भैंसों में मिले हैं।  वैज्ञानिकों के अनुसार, प्रभावित मवेशियों की श्वास नली में भी इसका संक्रमण देखने को मिल रहा है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अधिकारियों ने मृत पशुओं का पोस्टमार्टम कर यह पता करने के लिए कहा है संक्रमण किन-किन अंगों में पहुंच रहा है। प्रदेश की सीमा से लगे दूसरे राज्यों में पशुओं में के मामले सामने आने के बाद संचालक पशुपालन एवं डेयरी डा. आरके मेहिया ने सभी विभागीय अधिकारी-कर्मचारियों को सतर्क रहने को कहा है। उन्होंने वीडियो कान्फेंसिंग से संयुक्त संचालक, उप संचालक, संभागीय एवं जिला लैब प्रभारी से पशुओं के स्वास्थ्य के बारे में चर्चा की। डा. मेहिया ने कहा कि प्रदेश के सीमावर्ती राज्यों में व्यापक रूप से फैली उन्होंने कहा कि बीमारी के प्रति पूरी सावधानी रखी जाए और उपचार की व्यवस्थाएं भी सुनिश्चित करें। डा. मेहिया ने संभागीय एवं जिला अधिकारियों को गुजरात एवं राजस्थान से लगे हुए जिलों की सीमाओं पर पशुओं के आवागमन पर रोक लगाने और बीमारी को नियंत्रित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि स्वस्थ जानवरों को बीमारी से पर्याप्त मात्रा में औषधि भंडार रखें। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद उप महानिदेशक डा. बीएन त्रिपाठी ने कहा कि प्रभावित पशुओं के दूध का सेवन कम से कम तीन हफ्ते तक नहीं करना चाहिए। बता दें कि देशभर के 23 राज्य इस बीमारी की चपेट में है। यह बीमारी पशुओं से इंसानों में भी आ सकती है, लेकिन अभी तक देश में इसके कहीं प्रमाण नहीं मिले हैं। बीमारी को देखते हुए अलर्ट जारी किया गया है।