जहां अब एक तरफ 5G को देशभर में जल्द से जल्द पहुंचाने की तैयारियां हैं। वहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 6G को भारत में सबसे पहले लाने का लक्ष्य अभी से बना चुके हैं। यदि ऐसा हुआ तो भारत संचार क्षेत्र में सबसे बड़ी शक्ति बनकर उभरेगा।

भारत में 1 अक्तूबर को 5G लॉंच होने से देश में एक नयी संचार क्रान्ति आ गयी है। लेकिन इसी के साथ भारत अभी से संचार क्षेत्र में 6G सेवाएँ उपलब्ध कराने की तैयारियों में भी जुट गया है। भारत का लक्ष्य है कि विश्व में 6जी सेवाएँ उपलब्ध कराने में वह अग्रणी रहे।

असल में अब जब भारत में 5जी सेवाओं का आगमन हुआ है, तब तक विश्व के लगभग 70 देशों में यह सेवा पहले ही उपलब्ध हो चुकी है। जिनमें दक्षिण कोरिया, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इटली, चीन, कनाडा, स्पेन के साथ चीन, ब्राज़ील और सऊदी अरब जैसे देश शामिल हैं। 6G आ सकता है भारत में सबसे पहले

इस तरह भारत 5G के मामले में अन्य देशों से कुछ पिछड़ गया है। इसलिए अब भारत सरकार जहां देश भर में 5जी सेवाएँ जल्द से जल्द आम जन को उपलब्ध कराना चाहती है, वहाँ 6जी को भी सबसे पहले भारत में लाने की योजना पर काम हो रहा है।

यूं भारत में 5G को लाने की तैयारी 2018 में शुरू हो गयी थी। मई 2020 में इसका ट्रायल भी शुरू हो गया था। लेकिन इसके लिए सर्विस प्रोवाइडर्स को जो स्पेक्ट्रम चाहिए था वह उनके पास नहीं था। लेकिन गत अगस्त में सभी सार्विस प्रोवाईडर्स ने नीलामी में स्पेक्ट्रम ले लिया। क्या है प्रधानमंत्री का लक्ष्य

भारत के संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने एक इंटरव्यू में बताया-‘प्रधानमंत्री ने लक्ष्य दिया है कि हम जल्द ही 5जी में अन्य देशों के समकक्ष में आयें। लेकिन 6जी को लाने में भारत लीड करे। इसलिए 6जी की तैयारी शुरू भी हो चुकी है। प्रगति मैदान में आयोजित ‘इंडिया मोबाइल कॉंग्रेस’ प्रदर्शनी के आई टी स्टॉल में भी 6जी के भारत में निर्मित माईमो MIMO (मल्टीपल –इनपुट मल्टीपल –आउटपुट) उपकरण को देखा जा सकता है। यहाँ तक इंटेरनेशनल टेलिकॉम यूनियन (ITU) के विशेषज्ञ भी भारत के इंजीनियर्स की क्षमता को देख रहे हैं। इसलिए भारत 6जी लाने में पहल करेगा।

यदि भारत 6जी लाने में विश्व को पछाड़ कर पहल कर सका तो निश्चय ही भारत संचार तकनीक में विश्व शक्ति बनकर एक और नया इतिहास रच देगा।