नई दिल्ली । अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल का भाव वर्ष 2014 के बाद से उच्चस्तर 87 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया है। इसके बावजूद घरेलू बाजार में पेट्रोल और डीजल के दाम लगातार 74वें दिन भी नहीं बढ़े हैं। वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल के मानक ब्रेंट क्रूड के भाव मंगलवार को 87.7 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गए। इसके पीछे बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव और आपूर्ति पक्ष से जुड़ी बाधाएं मुख्य हैं। यमन के हूदी विद्रोहियों ने संयुक्त अरब अमीरात में तेल प्रतिष्ठान पर हमला कर आपूर्ति को बाधित किया है।इसके अलावा वैश्विक तेल भंडार भी कम हो रहे हैं। विश्लेषकों का मानना है कि हमले के बाद पश्चिम एशिया के दो पड़ोसी देशों ईरान एवं सऊदी अरब के बीच तनाव बढ़ने की आशंका है। इससे कच्चे तेल की आपूर्ति आने वाले समय में और बाधित हो सकती है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के दामों में पिछले कुछ दिनों से आई तेजी के बावजूद घरेलू स्तर पर पेट्रोल एवं डीजल के दाम नहीं बढ़ रहे हैं। करीब ढाई महीने से पेट्रोल एवं डीजल के दामों में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है।
दिल्ली में पेट्रोल के दाम 95.41 रुपये प्रति लीटर के भाव पर हैं, जबकि डीजल 86.67 रुपये प्रति लीटर के दाम पर बिक रहा है। उत्पाद शुल्क में कटौती के बाद राज्य सरकार के स्तर पर भी मूल्य वर्धित कर (वैट) कम किए जाने से पेट्रोल एवं डीजल के दाम इस स्तर पर हैं। अक्टूबर के अंत में पेट्रोल 110 रुपये और डीजल 98 रुपये प्रति लीटर के पार पहुंच गया था। जब देश में पेट्रोल एवं डीजल के दाम इतनी ऊंचाई पर थे, उस समय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ब्रेंट क्रूड भी 82 डॉलर प्रति बैरल के आसपास बना हुआ था। हालांकि बाद में उसमें गिरावट आती गई और दिसंबर, 2021 के अंत तक यह 68.87 डॉलर प्रति बैरल के स्तर तक आ गया था।
हालांकि, नए साल की शुरुआत होते ही ब्रेंट क्रूड के भाव फिर से बढ़ने लगे और अब यह 87.7 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच चुके हैं। यह वर्ष 2014 के बाद का इसका उच्चतम स्तर है। भारत में पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतें तय करने का अधिकार सरकार ने पेट्रोलियम विपणन कंपनियों को दिया हुआ है। लेकिन कच्चे तेल के दाम बढ़ने के बावजूद तेल कंपनियां घरेलू स्तर पर कीमतें नहीं बढ़ा रही हैं। विश्लेषकों के मुताबिक, देश के पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों की वजह से तेल कीमतों में बढ़ोतरी नहीं की जा रही है।