कॉलेजियम सिस्टम को लेकर केंद्र सरकार और न्यायपालिका के बीच बहस चल रही है। इसी बीच केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने गुरुवार को कहा कि जजों की नियुक्ति में मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर (MoP) के पुनर्गठन के लिए सुप्रीम कोर्ट के 2016 के आदेश का पालन करना केंद्र का कर्तव्य है। साथ ही रिजिजू ने कहा कि केंद्र न्यायपालिका का सम्मान करता है क्योंकि फलते-फूलते लोकतंत्र के लिए न्यायपालिका की स्वतंत्रता अति आवश्यक है।रिजिजू ने एकीकृत अदालत परिसर में पुडुचेरी के वकीलों के लिए 13 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले भवन की आधारशिला रखने के बाद यह बात कही।

उन्होंने कहा कि मैंने प्रधान न्यायाधीश को सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों की नियुक्ति के लिए एक व्यवस्थित कॉलेजियम सिस्टम को लेकर लिखा है और यह शीर्ष अदालत की संविधान पीठ द्वारा बहुत अच्छी तरह से निर्देशित है।रिजिजू ने कहा कि साल 2016 में कॉलेजियम और सरकार को सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों की नियुक्ति के लिए मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर को पुनर्गठित करने के लिए बहुत स्पष्ट अवलोकन और निर्देश दिए थे।

हालांकि इसमें देरी हुई। लेकिन सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के आदेश को आगे बढ़ाना मेरा कर्तव्य है।उन्होंने कहा कि जब तक कॉलेजियम सिस्टम है और कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है साथ ही संसद नई व्यवस्था नहीं बनाती है तब तक हम मौजूदा प्रणाली से आगे बढ़ेंगे। कानून और न्याय मंत्री ने कहा कि न्यायपालिका के लिए उनका संदेश है कि हम न्यायपालिका की गरिमा और स्वतंत्रता का हमेशा सम्मान करेंगे।