नई दिल्ली| भारतीय सीमा पर चीन द्वारा पुल बनाने की खबरें सामने आने के बाद राहुल गांधी ने शुक्रवार को केंद्र पर 'डरपोक और विनम्र' रुख अपनाने का आरोप लगाया।

राहुल गांधी ने एक ट्वीट में कहा, "चीन पैंगोंग पर पहला पुल बनाता है, तो भारत सरकार कहती है, 'हम स्थिति की निगरानी कर रहे हैं।' अब चीन पैंगोंग पर दूसरा पुल बनाता है। भारत सरकार फिर कहती है, 'हम स्थिति की निगरानी कर रहे हैं'।"

उन्होंने आगे कहा, "भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और क्षेत्रीय अखंडता पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता है। एक डरपोक और विनम्र प्रतिक्रिया से काम नहीं चलेगा। पीएम को राष्ट्र की रक्षा करनी चाहिए।"

कांग्रेस ने विदेश मंत्रालय (एमईए) पर यह कहने के लिए निशाना साधा कि रक्षा मंत्रालय इसका जवाब देगा।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने गुरुवार को कहा था, "मैंने पहले ही कहा है कि एलएसी के बारे में हमारी नियमित बातचीत चल रही है। चीनी विदेश मंत्री भी आए और हमने उनसे बातचीत की। हमने उन्हें अपनी उम्मीदों से अवगत कराया। आपको याद होगा कि हमारे विदेश मंत्री (ईएएम) ने यह भी बताया कि बातचीत कैसे हुई और किन मुद्दों पर चर्चा हुई।"

बागची ने कहा कि पुल की रिपोर्ट एक सैन्य मुद्दा है और वह इस मामले पर टिप्पणी नहीं कर पाएंगे।

उन्होंने कहा, "और जैसा कि हमने कहा है, हमारा मानना है कि पूरे क्षेत्र पर कब्जा है। रक्षा मंत्रालय आपको ब्योरा और इसके निहितार्थों को बेहतर ढंग से बता सकेगा। लेकिन अगर साझा करने के लिए कुछ और है, तो हम आपको बताएंगे।"

उन्होंने आगे कहा, "मुझे लगता है कि हम बहुत स्पष्ट हैं और हम एक ही बात बार-बार कहेंगे। हमने चीनी पक्ष के साथ विभिन्न स्तरों पर, राजनयिक और सैन्य स्तर पर विभिन्न दौर की बातचीत की है।"

बागची ने कहा कि विदेश मंत्री जयशंकर ने बाद में मीडिया से कहा था कि अप्रैल 2020 में चीनी पक्ष द्वारा तैनाती के कारण उत्पन्न तनाव एवं संघर्ष के बीच दोनों देशों में सामान्य स्थिति बहाल नहीं हो सकती।

बागची ने कहा, "इसलिये हम चीनी पक्ष के साथ राजनयिक एवं सैन्य स्तर पर संवाद जारी रखेंगे, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि दोनों मंत्रियों के निदेशरें का पूरी तरह से अनुपालन हो।"

मीडिया रिपोटरें में चीन के अतिक्रमित क्षेत्र में बने एक पुल का संकेत जरूर मिला है, लेकिन यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि यह दूसरा पुल है या मौजूदा पुल का विस्तार है।