Raksha Bandhan 2022 Date:

भाई बहन के बंधन का पर्व रक्षाबंधन एक ऐसा पर्व जो मान्यताओं से जुड़ा है. इस बार रक्षाबंधन का त्योहार 11 अगस्त 2022 दिन गुरुवार को मनाया जाएगा. रक्षाबंधन सिर्फ एक अकेला पर्व नहीं है. दरअसल, रक्षाबंधन श्रावण पूर्णिमा भी है. इसके साथ-साथ अन्य वाधन भी है, इसे राखी भी कहते हैं और इस दिन वेद माता गायत्री जयंती भी होती है. साथ ही साथ इस दिन नारली पूर्णिमा भी है, यजुर्वेद उपाकर्म भी इसी दिन है, हयग्रीव जयंती भी इसी दिन है, संस्कृत जयंती भी इसी दिन है. 

सावन की पूर्णावधि भी इसी दिन है. उत्तर भारत के लोगों के लिए इस दिन सावन की समाप्ति हो जाएगी यानी यह सावन का आखिरी दिन है, लेकिन दक्षिण भारत के लिए इस दिन आधा सावन ही खत्म होगा. आइए राशि के अनुसार जानते हैं कि राखी के दिन क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए?

मेष- इस दिन भाई बहन एक दूसरे को मिश्री खिलाएं. नीली रंग की राखी और नीले रंग के कपड़ों का प्रयोग न करें.

वृष- भाई बहन एक दूसरे को सफेद कपड़ें भेंट करें. बादाम भेंट न करें और बादाम न खिलाएं. 

मिथुन- भाई बहन एक दूसरे को रोली से तिलक करें. सिंदूर का तिलक न करें अन्यथा दोनों में विवाद हो सकता है.

कर्क- भाई बहन एक दूसरे को इत्र भेंट में दें. परफ्यूम एक दूसरों को नहीं देना चाहिए क्योंकि परफ्यूम में अल्कोहॉल होता है.

सिंह- भाई बहन एक दूसरे के लिए लाल रंग की राखी का प्रयोग करें, लाल रंग के कपड़ों का प्रयोग करें. संभव हो तो हरे रंग की राखी और हरे रंग के कपड़ों का प्रयोग न करें.

कन्या- भाई बहन एक दूसरे को गुड़ खिलाए. एक दूसरे को चांदी का कोई तोहफा नहीं देना है.

तुला- भाई बहन एक दूसरे को हल्दी से तिलक करें. एक दूसरे को महरून रंग के कपड़े या महरून रंग की राखी नहीं बांधनी है.

वृश्र्चिक- भाई बहन एक दूसरे को नीले रंग का धागा या राखी बांधे. एक दूसरे को पिस्ता से बनी मिठाई नहीं खिलानी है और न तो हरे रंग की राखी बांधनी है.

धनु- भाई बहन एक दूसरे को बादाम भेंट करें. एक दूसरे को कॉस्मेटिक का सामान नहीं देना है.

मकर- भाई बहन एक दूसरे को पीला धागा या पीली राखी बांधें. एक दूसरे को लाल रंग की राखी नहीं बांधनी है.

कुंभ- भाई बहन एक दूसरे को नारंगी रंग के सिंदूर से तिलक करें. एक दूसरे को पीली रंग की राखी नहीं बांधनी है.

मीन- भाई बहन एक दूसरे को हरे रंग की राखी बांधें. एक दूसरे की तिल के तेल से आरती न उतारें. 

11 या 12 कब है रक्षा बंधन-

हिंदू पंचांग के अनुसार सावन मास की पूर्णिमा तिथि 11 अगस्त को सुबह 10 बजकर 38 मिनट पर प्रारंभ होगी, जो कि 12 अगस्त को सुबह 07 बजकर 5 मिनट तक रहेगी। ऐसे में लोग दुविधा में हैं कि रक्षा बंधन का पर्व 11 अगस्त को मनाया जाएगा या फिर 12 अगस्त। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, 11 अगस्त को भद्रा काल की साया होने के कारण कुछ लोग रक्षा बंधन का पर्व 12 अगस्त को मनाएंगे।

जानें दोनों दिन के शुभ मुहूर्त-

11 अगस्त को भद्राकाल सुबह से रात 08 बजकर 51 मिनट तक है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, सूर्यास्त के बाद किसी भी शुभ कार्य की मनाही होती है। इसलिए बहनें भाई को न ही भद्राकाल में राखी बांध सकती हैं और न ही रात में। इसलिए कुछ पंडित 12 अगस्त को ही रक्षा बंधन मनाना शुभ मान रहे हैं। अगर आप रक्षा बंधन 12 अगस्त को मना रहे हैं तो सुबह 07 बजकर 05 मिनट से पहले ही राखी भाई की कलाई पर बांध दें।

राखी बांधने की विधि

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार राखी बंधवाते समय भाई का मुख पूरब दिशा में और बहन का पश्चिम दिशा में होना चाहिए।

सबसे पहले बहनें अपने भाई को रोली, अक्षत का टीका लगाएं।

घी के दीपक से आरती उतारें, उसके बाद मिष्ठान खिलाकर भाई के दाहिने कलाई पर राखी बांधें।

रक्षाबंधन पर भद्रा का संकट, जानें क्यों भद्रा काल को माना जाता है अशुभ 

Raksha Bandhan 2022, Bhadra Kaal Niyam

रक्षाबंधन 11 अगस्त 2022 को मनाया जाएगा. रक्षाबंधन पर बहन भाई को तिलक लगाकर आरती उतारती है और कलाई पर राखी बांधती है. रक्षाबंधन पर अच्छा मुहूर्त देखकर ही राखी बांधनी चाहिए. इस साल रक्षाबंधन पर भद्रा का संकट मंडरा रहा है. भद्रा काल को शास्त्रों में अशुभ माना गया है. इसमें राखी बांधने या कोई शुभ कार्य के परिणाम अच्छे नहीं होते, आइए जानते हैं क्यों भद्रा काल को माना जाता है अशुभ.

रक्षाबंधन 2022 भद्रा काल

(Raksha Bandhan 2022 Bhadra kaal time)

रक्षाबंधन के दिन भद्रा पूंछ- 11 अगस्त 2022, शाम 05.17 से 06.18 तक

रक्षाबंधन भद्रा मुख - शाम 06.18 से रात 8.00 बजे तक

रक्षाबंधन भद्रा समाप्ति - 11 अगस्त 2022, रात 08.51 पर

रक्षाबंधन के लिए प्रदोष काल का मुहूर्त- 11 अगस्त 2022 रात 08.52 से 09.14 तक है. राखी बांधने के लिए सबसे उत्तम समय है.

भद्रा काल को क्यों माना जाता है अशुभ ?

भद्रा सूर्यदेव की पुत्री और शनिदेव की बहन हैं. शनि की भांति इसका स्वभाव भी क्रूर है. धर्म शास्त्र के अनुसार वैसे तो भद्रा का शाब्दिक अर्थ कल्याण करने वाली है लेकिन इसके विपरित भद्रा काल में शुभ कार्य वर्जित है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भद्रा राशियों के अनुसार तीनों लोको में भ्रमण करती है. मृत्युलोक (पृथ्वीलोक) में इसके होने से शुभ कार्य में विघ्न आते है.

भद्रा का रक्षाबंधन से बहुत गहरा नाता है. पौराणिक कथा के अनुसार भद्रा काल में लंका नरेश रावण की बहन ने उसे राखी बांधी थी जिसके बाद रावण को इसका अशुभ परिणाम भुगतना पड़़ा था. रावण की लंका का नाश हो गया था.

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