कुछ ही दिनों में भाई बहन का पवित्र त्योहार यानी कि रक्षाबंधन आने वाला है। हर किसी को इसका बेसब्री से इंतजार रहता है। इस बार रक्षाबंधन का त्योहार 11 अगस्त को पड़ रहा है। पर इसी दिन सुबह 10.38 बजे से भद्रा लग रहा है। उसी समय पूर्णिमा का आगमन भी हो रहा है। भद्रा काल रात 8.50 बजे तक रहने वाला है। भद्रा काल में राखी बांधना शुभ नहीं माना जाता है। वहीं हिंदू धर्म में सूर्य अस्त के बाद भी राखी नहीं बांधते। ऐसे में राखी बांधने को लेकर तरह तरह के असमंजस हैं। इसी के चलते हम आपकी इस शंका को खत्म करने जा रहे हैं। इस खबर में हम आपको भद्रा काल में राखी न बांधने की वजह भी बताएंगे।

ये है शुभ मुहूर्त

जानकारी के मुताबिक ज्योतिषाचार्य पंडित अजय कुमार तैलंग ने बताया,”जो तिथि सूर्य उदय में रहती है। वह पूरे दिन रहती है। ऐसे में भद्रा में राखी नहीं बांध सकते हैं। कुछ आचार्य ने 11 तारीख की घोषणा की है। द्वारिकाधीश मंदिर में भी राखी 12 अगस्त को ही मनाई जाएगी। उत्तर भारत में अधिकतर लोग 12 अगस्त को ही रक्षा बंधन मनाएंगे। सभी ज्योतिषीय एवं विभिन्न ग्रंथ में दिए गए नियमों के अनुसार कई स्थानों पर भद्रा के बाद प्रदोष काल में राखी मनाई जा रही है।

मगर उत्तर भारत में उदय-व्यापिनी पूर्णिमा के दिन, सुबह को ही ये त्योहार मनाने का प्रचलन है। इसलिए 12 अगस्त यानी शुक्रवार को उदय कालिक पूर्णिमा में भी राखी बांध सकते हैं।

मुहूर्त को लेकर पंडित. सुभेश सर्मन, राधा रानी पंचांग के संपादक प्रेम पाल कौशिक और ब्रज भूमि पंचांग के पंचांगकर्ता पंडित कौशल किशोर कौशिक ने भी माना है कि 12 अगस्त को सुबह 7:10 बजे से शाम तक राखी बांधी जा सकती है क्योंकि 12 अगस्त को पूर्णिमा तिथि भी होगी। भद्रा भी नहीं रहेगा।

भद्रा में क्यों नहीं बांधी जाती राखी

रक्षाबंधन पर भद्राकाल में राखी नहीं बांधनी चाहिए। इसके पीछे एक पौराणिक कथा भी है। लंकापति रावण की बहन ने भद्राकाल में ही उनकी कलाई पर राखी बांधी थी और एक वर्ष के अंदर उसका विनाश हो गया था। भद्रा शनिदेव की बहन थी। भद्रा को ब्रह्मा जी से यह श्राप मिला था कि जो भी भद्रा में शुभ या मांगलिक कार्य करेगा, उसका परिणाम अशुभ ही होगा।

Raksha Bandhan 2022 Kab Hai:

भारत अपने त्योहारों और विशेष अवसरों के लिए जाना जाता है. ऐसा ही एक त्योहार रक्षाबंधन है, जो भाई बहन के पवित्र रिश्ते को समर्पित है. रक्षाबंधन के इस पावन त्योहार पर बहनें अपने भाइयों के हाथ पर राखी बांधती हैं और रक्षा का वचन मांगती हैं. साथ ही साथ बहनें अपने भाइयों की सुख-समृद्धि की कामना करती हैं. इस बार रक्षाबंधन 11 अगस्त 2022, गुरुवार को मनाया जाएगा.

रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त

(Raksha Bandhan 2022 Date)

हिंदू पंचांग के अनुसार श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 11 अगस्त , गुरुवार के दिन पूर्वाह्न 10 बजकर 38 मिनट से शुरू होकर उसके अगले दिन 12 अगस्त, शुक्रवार को सुबह 7 बजकर 5 मिनट पर समाप्त होगी. चूंकि कोई भी त्योहार उदयातिथि के हिसाब से मनाया जाता है इसलिए इस बार रक्षाबंधन का पर्व 11 अगस्त को ही मनाया जाएगा. 

रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त

(Raksha Bandhan 2022 Shubh Muhurt)

रक्षाबंधन पर राखी बांधने के कई अबूझ मुहूर्त रहेंगे. इस दिन सुबह 11 बजकर 37 मिनट से 12 बजकर 29 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त होगा. फिर दोपहर 02 बजकर 14 मिनट से 03 बजकर 07 मिनट तक विजय मुहूर्त रहेगा. इस दौरान आप कोई भी शुभ मुहूर्त देखकर भाई की कलाई पर राखी बांध सकती हैं.

रक्षाबंधन पर भद्रा का साया

(Raksha Bandhan 2022 Bhadra Timing)

इस साल रक्षाबंधन के त्योहार पर भद्रा का साया भी रहेगा. 11 अगस्त यानी रक्षाबंधन पर शाम 5 बजकर 17 मिनट से भद्रा पुंछ शुरू हो जाएगा. भद्रा पुंछ 5.17 से लेकर 6.18 तक रहेगा. इसके बाद 6.18 से रात 8 बजे तक मुख भद्रा रहेगी. भद्राकाल में वैसे तो राखी बांधने से बचना चाहिए लेकिन बहुत मजबूरी हो तो इस दिन प्रदोषकाल में शुभ, लाभ, अमृत में से कोई एक चौघड़िया देखकर राखी बांध सकती हैं.

रक्षाबंधन के दिन रखें इन बातों का ध्यान

(Raksha Bandhan/Rakhi 2022 Rules

पंडित रश्मि मिगलानी ने बताया, रक्षाबंधन वाले दिन जब आप सुबह तैयार होते हैं तो उस दिन काले कपड़े नहीं पहनने चाहिए. काले कपड़ों से नकारात्मक ऊर्जा आकर्षित होती है. जब आप भाई का टीका करती हैं तो ध्यान रखना है कि भाई का सिर रूमाल से ढका हो. एक बात का ख्याल और रखना है कि भाई का चेहरा दक्षिण दिशा की तरफ न हो. माथे के ऊपर जब आप चावल लगाते हैं तो ध्यान रहें कि चावल टूटे हुए न हो क्योंकि टूटे हुए चावल शुभ नहीं माने जाते. 

जब आप अपने भाई की कलाई पर राखी या धागा बांधते हैं तो ध्यान रखना है कि राखी या धागे की गांठ तीन होनी चाहिए. तीन गांठों की बहुत अहमियत है. पहली गांठ भाई की लंबी उम्र और सेहत के लिए बांधी जाती है. दूसरी गांठ भाई की सुख-समृद्धि के लिए बांधी जाती है. तीसरी गांठ रिश्ते को मजबूत करती हैं. ये तीन गांठें ब्रह्मा, विष्णु और महेश को भी सम्बोधित करती हैं.

रक्षाबंधन की कथाएं

(Raksha Bandhan 2022 Puja & Katha)

राखी का यह पर्व पुराणों से होता हुआ महाभारत तक भी प्रचलित है. आइए जानते हैं कथा. दरअसल, राखी से जुड़ा एक प्रसंग महाभारत का भी प्रचलित है. शिशुपाल का वध करते समय श्री कृष्ण की तर्जनी उंगली में चोट लग गई थी, जिसकी वजह से उनकी उंगली से खून बहने लगा था. खून को रोकने को लिए द्रोपदी ने अपनी साड़ी का किनारा फाड़कर, श्री कृष्ण की उंगली बांध दी थी. इस ऋण को चुकाने के लिए चीर हरण के समय श्री कृष्ण ने द्रोपदी की मदद करी थी. द्रोपदी ने श्री कृष्ण से रक्षा करने का वचन भी लिया था.

एक कथा मध्यकालीन इतिहास से भी जुड़ी हुई है. बात उस समय की है, जब राजपूतों और मुगलों की लडाई चल रही थी. उस समय चित्तौड़ के महाराजा की विधवा रानी कर्णवती ने अपने राज्य की रक्षा के लिये हुमायूं को राखी भेजी थी. हुमायूं ने भी उस राखी की लाज रखी और स्नेह दिखाते हुए, उसने तुरंत अपनी सेनाएं वापस बुला ली थी. इस ऎतिहासिक घटना ने भाई -बहन के प्यार को मजबूती प्रदान की. इस घटना की याद में भी रक्षा बंधन का पर्व मनाया जाता है.

पुराणों के अनुसार जब वामन अवतार लेकर राजा महाबलि को विष्णु भगवान ने पाताल लोक भेज दिया था तब महाबलि ने विष्णु भगवान से भी एक चीज मांगी थी कि वो जब भी सुबह उठें तो उन्हें भगवान विष्णु के दर्शन हों. अब हर रोज विष्णु राजा बलि के सुबह उठने पर पाताल लोक जाते थे. ये देखकर माता लक्ष्मी व्याकुल हो उठीं. तब नारद मुनि ने सलाह दी कि अगर वो राजा बलि को भाई बना लें और उनसे विष्णु की मुक्ति का वचन लें तो सब सही हो सकता है. इस पर मां लक्ष्मी एक सुंदर स्त्री का वेष धरकर रोते हुए बलि के पास पहुंची और कहा कि उनका कोई भाई नहीं है जिससे वे दुखी हैं. राजा बलि ने उनसे कहा कि वे दुखी न हों आज से वे उनके भाई हैं. भाई बहन के पवित्र रिश्ते में बंधने के बाद मां लक्ष्मी ने बलि से उनके पहरेदार के रूप में सेवाएं दे रहे भगवान विष्णु को अपने लिए वापस मांग लिया और इस प्रकार नारायण संकट से मुक्त हुए. इसलिए भी रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है.

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