सिद्धार्थनगर। फागुन के महीने में तराई के आंगन में कोहरे का प्रकोप देख कर भले ही लोग अचरज में पड़ रहे हों। लेकिन कृषि वैज्ञानिक मौसम के इस रुख को फसलों के अनुकूल बता रहे हैं। इसकी वजह यह है कि सर्द मौसम में एक तो फसलों में रोग कम लगते हैं। दूसरे पौधे अनियंत्रित तरीके से नहीं बढ़ते। फसलों पर मौसम की मेहबानी से किसान अच्छी पैदावार की उम्मीद लगाए हैं।

माघ का महीना गुजर चुका है। फागुन महीने का आगाज हो गया है लेकिन तराई के आंगन में कोहरे व धुंध का प्रकोप कम नहीं हुआ है। पिछले कई दिनों से दोपहर तक कुहासे की चादर छाई रहने से तापमान भी कोई खास वृद्धि नहीं हो रही है। जनजीवन के लिहाजा से भले यह परेशानी भरा है लेकिन रवी फसल के लिए यह लाभदायक है। सोहना कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ. एसएन सिंह ने बताया कि कोहरा और ठंड बढ़ने से गेहूं की फसल को बहुत लाभ होता है।

इस समय का मौसम सभी फसलों के लिए अनुकूल है। इससे फसल स्वस्थ रहेगी, खर पतवार भी नहीं बढ़ने पाएगा। उन्होंने बताया कि जब-जब सर्दी लम्बी खिची तब-तब गेहूं का भरपूर उत्पादन हुआ है। बताया कि सर्दी से किसी भी फसल का नुकसान नहीं हो रहा है। सर्दी से सरसों का दाना थोड़ा धीरे-धीरे पक रहा है। इससे सरसों के उत्पादन में भी बढ़ोतरी होने की उम्मीद है। उन्होंने किसानों को सलाह दी है कि चने के फसल की निगरानी करते रहें। फली आने की अवस्था में फली बेधक कीट का प्रकोप दिखे तो बचाव के लिए दवा का छिड़काव करें।

कृषि वैज्ञानिक डॉ.सर्वजीत ने बताया कि गेहूं की फसल में पीला रतुआ रोग लगने की संभावना बढ़ने पर उसमें डाई एथेन का छिड़काव करें। इससे रोग का प्रकोप कम हो जाएगा। डॉ.मार्कंडेय सिंह ने बताया कि आम की फसल में फूल लगने पर कीटनाशक का छिड़काव नहीं करना चाहिए। छिड़काव करने पर मधुमक्खियां मर जाती हैं और परागण भी ठीक से नहीं हो पाता है इससे उपज कम हो जाती है।