यह ज्येष्ठ का महीना है, इस महीने की अमावस्या तिथि को महिलाएं पति की लंबी उम्र और संतान प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं. मान्यता है कि इस व्रत से दांपत्य जीवन की समस्याओं से भी मुक्ति मिलती है तो आइये जानते हैं कब है वट सावित्री व्रत, इसका क्या है महत्व.


वट सावित्री व्रत महत्वः देश भर में महिलाएं संतान प्राप्ति और पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला वट सावित्री व्रत रखती हैं. मान्यता है इस व्रत के प्रभाव से पति पर आए संकट टल जाते हैं. इस दिन बरगद के पेड़ को कच्चा सूत बांधा जाता है. यह व्रत दांपत्य जीवन में मधुरता और सुख समृद्धि भी लाने वाला है.

वट वृक्ष की क्यों होती है पूजाः इस दिन महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करती है. इसके पीछे एक खास वजह है. दरअसल यह व्रत सावित्री और सत्यवान की कथा से जुड़ी हुई है. कथा के अनुसार सावित्री के पतिव्रत धर्म को देखकर मृत्यु के देवता यमराज ने उनके पति को अभयदान दे दिया था और जब तक सावित्री अपने पति के प्राण नहीं लौटा पाईं तब तक बरगद के पेड़ की जटाओं ने सावित्री के पति के मृत शरीर को सुरक्षित रखा था. इसलिए महिलाएं इस दिन वट यानी बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं.

कब है वट सावित्री व्रतः वट सावित्री व्रत की तिथि पर ग्रंथों में मतभेद है, इस कारण कुछ जगहों पर ज्येष्ठ अमावस्या के दिन वट सावित्री व्रत रखा जाता है तो कुछ जगहों पर पूर्णिमा के दिन यह व्रत रखा जाता है. वहीं कुछ ग्रंथों में त्रयोदशी से तीन दिन यह व्रत रखने का विधान है. बहरहाल उत्तर भारत में यह व्रत अमावस्या को रखा जाएगा, जबकि गुजरात में पूर्णिमा के दिन तीन जून को यह व्रत रखा जाएगा.

इधर, उत्तर भारत में वट सावित्री व्रत अमावस्या को रखा जाएगा, जो 19 मई को पड़ रहा है. पंचांग के अनुसार अमावस्या तिथि की शुरुआत 18 मई को रात 9.42 बजे से शुरू हो रही है, जो 19 मई रात 9.22 बजे संपन्न होगी. लेकिन उदयातिथि में वट सावित्री व्रत 19 मई को रखा जाएगा.

वट सावित्री व्रत शुभ योगः इस साल वट सावित्री व्रत बेहद खास है. ज्येष्ठ अमावस्या शनिवार को पड़ रही है. यानी यह शनिश्चरी अमावस्या भी है. इस दिन पूजा पाठ से शनिदेव प्रसन्न होते हैं. इसके अलावा भी खास योग इस व्रत को अधिक पुण्यफलदायी बना रहे हैं.

वट सावित्री व्रत के दिन ही शनि जयंती भी पड़ रही है, यानी इस दिन पूजा अर्चना से शनिदेव की भी कृपा प्राप्त होगी. इस दिन शनि देव स्वराशि कुंभ में रहकर शश योग भी बना रहे हैं, जो बेहद शुभ योग होता है. इस दिन शनिदेव की पूजा से बेहद शुभफल की प्राप्ति होगी.
पंचांग के अनुसार वट सावित्री व्रत के दिन शोभन योग भी बनेगा. इसके अलावा इस दिन चंद्रमा मेष राशि में गुरु के साथ गजकेसरी योग भी बनाएंगे. इस शुभ योग में पूजा से व्रती को मां लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलेगा.

वट सावित्री व्रत पूजा विधि

इस दिन सूर्योदय से पूर्व ही महिलाएं स्नान कर पूजा की तैयारी करती हैं और भोग बनाती हैं.
फिर शुभ मुहूर्त में महिलाएं सोलह श्रृंगार कर बरगद के पेड़ के नीचे भगवान गणेश और भगवान शिव माता पार्वती की पूजा करती हैं.
पेड़ की जड़ में जल देती हैं और परिक्रमा कर बरगद के पेड़ को सात, ग्यारह या 21 बार कच्चा सूत लपेटती हैं.
बाद में महिलाएं सौभाग्य की चीजों को दान करती हैं.