लखनऊ। योगी राज 2.0 का  भारी-भरकम मंत्रिमंडल के शपथग्रहण से साथ आगाज़ हो गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का यह कार्यकाल पहले से अधिक आत्मविश्वास से भरा तो होगा ही। विकास का ‘बुलडोजर’ पहले से ज्यादा गति से चलने की उम्मीद है। इसके बावजूद प्रदेश को विकास के पथ पर आगे ले जाने और यूपी को नंबर-एक की अर्थव्यवस्था बनाने व बेरजोगारी पर कड़ा वार करने की चुनौतियां भी हैं। उम्मीद है कि पहले कार्यकाल में पूरे जोश के साथ काम करने वाली सरकार दूसरे कार्यकाल में दोगुने जोश के साथ काम करेगी ताकि नए यूपी के निर्माण का प्रण पूरा हो सके। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहले कार्यकाल में निसंदेह बिना रुके बिना थके काम किया। चाहे भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टालरेंस हो या  कानून-व्यवस्था के खिलाफ पुलिस का बुलडोजर व महिला सुरक्षा। सचिवालय और प्रशासनिक अमले की कार्यशैली में बदलाव हो या फिर हर जिले में दौरा कर समीक्षा करना...। मुख्यमंत्री के नेतृत्व में सरकार ने पूरी शिद्दत के साथ काम किया है। युवाओं को नौकरी देने के मुद्दे पर पारदर्शिता पर सरकार का जोर रहा और महिला की सुरक्षा के साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के संजीदा प्रयास हुए। 58 हजार बैंकिंग सखी की नियुक्त हुई और महिला स्वंय सहायता समूह के जरिये छोटे-छोटे व्यवसाय शुरू करवा के लिए सहायता देकर महिलाओं को पैरों पर खड़ा करने की कोशिश गई। भाजपा को सियासी समर में इसका लाभ भी मिला। भाजपा ने दावा किया है कि उसने अपने वर्ष 2017 के घोषणा पत्र के कमोबेश 90 फीसदी से ज्यादा काम पूरे कर लिए हैं। कहना गलत न होगा कि इस बार की सरकार का कामकाज एक बार फिर उसके घोषणा पत्र की कसौटी पर कसा जाएगा। भाजपा सरकार के पास चुनौती होगी कि कैसे वह घोषणा पत्र में किए गए वादों को पूरा करे। बजट विशेषज्ञ लहरी यादव कहते हैं-‘भाजपा के घोषणा पत्र में ऐसा कोई बड़ा वादा नहीं था, जिससे उसे संसाधन जुटाने में कोई बड़ी दिक्कतें पेश आएं लेकिन उसे चुनिंदा वादों जैसे वृद्धा पेंशन, निराश्रित महिला पेंशन के साथ ही किसानों को सिंचाई के लिए मुफ्त बिजली पर लगातार हर साल नगदी खर्च करनी होगी। इसके लिए उसे संसाधन जुटाने होंगे।