जम्मू । कश्मीरी पंडितों के विस्थापन पर बनी फिल्म द कश्मीर फाइल्स पर राजनीति बंद होने का नाम नहीं ले रही है। जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती  ने फिल्म को लेकर कहा है कि कश्मीरी पंडितों के साथ जो हुआ वो भयावह है, लेकिन इस आधार पर आप हर कश्मीरी मुसलमान से नफरत नहीं कर सकते। महबूबा मुफ्ती ने केंद्र सरकार पर फिल्म के जरिए धर्म के आधार पर लोगों में नफरत भरने की कोशिश करने का आरोप लगाया है। महबूबा मुफ्ती ने मांग की है कि कश्मीरी पंडितों के साथ क्या हुआ था इसे जानने के लिए एक कमेटी का गठन किया जाए। इससे पहले नेशनल कांन्फ्रेंस के नेता फारुख अब्दुल्ला ने कहा था कि कश्मीरी पंडितों की हत्या और उनके विस्थापन का सच जानने के लिए एक कमिशन बनाना चाहिए। महबूबा मुफ्ती ने कहा कि लोगों को मुसलमानों के प्रति दिल में नफरत भरकर फिल्म नहीं देखनी चाहिए। उन्होंने 2020 में दिल्ली में हुए दंगों और 2002 में हुए गुजरात दंगों की जांच के लिए भी कमेटी बिठाने की मांग की। महबूबा मुफ्ती ने कहा  'मैने अभी तक द कश्मीर फाइल्स नहीं देखी है लेकिन मैने सुना है कि इसमें बहुत सारा खून-खराबा दिखाया गया हैॉ। कश्मीरी पंडितों के साथ जो हुआ वो भयानक है। हम आज भी उस दर्द को महसूस करते हैं। लेकिन आप कश्मीरी पंडितों पर हुए जुल्म के लिए हर कश्मीरी मुसलमान से नफरत नहीं कर सकते।' 
चित्तीसिंगपुरा में सिखों के नरसंघार, बरराला में हिंदुओं के साथ और सुरनकोटे में मुसलमानों के साथ हुई हिंसा का जिक्र करते हुए महबूबा मुफ्ती ने कहा कि हर समुदाय ने भयानक दर्द सहा है। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोग भारत और पाकिस्तान की बंदूकों के बीच फंस गए हैं और कश्मीरी पंडित भी उसके शिकार हैं। उन्होंने कहा कि फिल्म मेकर्स को तो पैसा कमाने से मलतब है। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी सरकार इस फिल्म के जरिए लोगों को धर्म के आधार पर बांट देना चाहती है। महबूबा मुफ्ती ने बीजेपी सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि पिछले आठ सालों में बीजेपी सरकार ने कश्मीरी पंडितों के लिए कुछ नहीं किया।