निलंबन के बाद बोले डीएसपी ऋषिकांत शुक्ला — बेबुनियाद हैं आरोप, मुझे फंसाने की साजिश की जा रही है

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उत्तर प्रदेश पुलिस में डीएसपी पद पर रहे ऋषिकांत शुक्ला ने निलंबन के बाद चुप्पी तोड़ते हुए अपना पक्ष सार्वजनिक किया है। शुक्ला ने सफाई देते हुए कहा कि उनके खिलाफ चल रही कार्रवाई एक साजिश का हिस्सा है और वे पूरी तरह बेगुनाह हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें अपने वरिष्ठ अधिकारियों और राज्य सरकार पर पूरा भरोसा है और वे जांच में हर संभव सहयोग देने को तैयार हैं।

ये है मामला 

शुक्ला, जो मैनपुरी में तैनात थे, पर आरोप है कि उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए अवैध रूप से 100 करोड़ रुपये की संपत्ति अर्जित की और कारोबारी अखिलेश दुबे से उनके आर्थिक संबंध थे। इसी मामले में उन्हें हाल ही में निलंबित किया गया था।

अपने स्पष्टीकरण में डीएसपी शुक्ला ने कहा, “मेरे अखिलेश दुबे से केवल लीगल एडवाइजर और एक पुलिस अधिकारी के रूप में संबंध रहे हैं। जब भी कोई तकनीकी या कानूनी मुद्दा सामने आता था, मैं उनसे सलाह लेता था। कानपुर में पोस्टिंग के दौरान भी कई बार उनसे बातचीत हुई, लेकिन यह रिश्ता पूरी तरह पेशेवर था।”

उन्होंने आगे कहा, “33 कंपनियां मेरे बेटे के नाम से चलने की बात झूठी और भ्रामक है। मेरे बेटे के नाम पर कोई कंपनी नहीं है। इसी तरह आर्यनगर और स्वरूप नगर की जिन संपत्तियों को मेरे नाम से जोड़ा गया है, वे भी पूरी तरह गलत हैं। मेरे मित्र देवेंद्र द्विवेदी के नाम पर दिखाई गई संपत्तियों के बारे में स्वयं उन्हें भी कोई जानकारी नहीं है।”

शुक्ला ने कहा कि उनके खिलाफ कुछ अपराधियों और माफिया गिरोहों ने मिलकर साजिश रची है। “संभव है कि जिन लोगों के खिलाफ मैंने सख्त कार्रवाई की थी, वही अब मेरे खिलाफ अफवाहें फैला रहे हैं। मैं साजिश का शिकार हुआ हूं,” उन्होंने कहा।

एसआईटी की जांच को लेकर

एसआईटी जांच को लेकर उन्होंने कहा, “मुझे अब तक एसआईटी की ओर से कोई औपचारिक सूचना नहीं दी गई कि मेरे खिलाफ 100 करोड़ की संपत्ति का मामला है। मुझे लगता है कि कुछ लोगों ने वरिष्ठ अधिकारियों को गुमराह किया, जिसके चलते यह रिपोर्ट भेजी गई। अगर मुझे अपना पक्ष रखने का मौका मिलता, तो वे निश्चित रूप से संतुष्ट हो जाते।”

शुक्ला ने कहा कि वे हर स्तर पर सहयोग करेंगे और तथ्यों के साथ अपनी बात रखेंगे। “मुझे न्याय व्यवस्था और सरकार पर पूर्ण विश्वास है,” उन्होंने जोड़ा।