DSP ऋषिकांत शुक्ला की अवैध संपत्ति की जांच अब IPS रमित शर्मा के हवाले

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उत्तर प्रदेश पुलिस में तैनाती के दौरान अकूत संपत्ति अर्जित करने के आरोपों से घिरे निलंबित डीएसपी ऋषिकांत शुक्ला की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। वर्दी की आड़ में भ्रष्टाचार का साम्राज्य खड़ा करने के आरोपों के बाद अब शुक्ला के खिलाफ विजिलेंस और विभागीय जांच शुरू हो चुकी है। प्राथमिक जांच में करीब 100 करोड़ रुपये की अवैध संपत्ति का पता चला है, जिसे उन्होंने कानपुर के वकील अखिलेश दुबे के साथ कथित मिलीभगत से अर्जित किया था। प्रदेश के कई जिलों में उनकी बेनामी संपत्तियों की भी पड़ताल चल रही है।

अब ‘सख्त तेवर वाले अफसर’ करेंगे जांच

इस पूरे प्रकरण की जांच का जिम्मा अब 1999 बैच के आईपीएस अधिकारी रमित शर्मा को सौंपा गया है — वही अफसर जिन्होंने माफिया अतीक अहमद के बेटे असद को एनकाउंटर में ढेर किया था। उस वक्त वे प्रयागराज के पुलिस कमिश्नर थे और उमेश पाल हत्याकांड की साजिश को सुलझाने में अहम भूमिका निभाई थी। अब वही अफसर ऋषिकांत शुक्ला की कथित ‘काली कमाई’ की तह तक पहुंचने की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।

मूल रूप से हापुड़ के रहने वाले रमित शर्मा वर्तमान में बरेली जोन के एडीजी हैं। स्मार्ट पुलिसिंग और तकनीकी नवाचारों में रुचि रखने वाले इस अफसर ने हाल ही में ‘जारविस’ नामक एआई पीआरओ सिस्टम तैयार किया था, जिसे उन्होंने पुलिस की पब्लिक रिलेशनिंग को डिजिटल और कुशल बनाने के लिए विकसित किया। राष्ट्रपति द्वारा विशिष्ट सेवा पदक से सम्मानित शर्मा अपनी सख्त कार्यशैली और निष्पक्ष जांच के लिए भी पहचाने जाते हैं।

एनकाउंटर स्पेशलिस्ट से विवादों तक

कभी ‘एनकाउंटर स्पेशलिस्ट’ कहे जाने वाले ऋषिकांत शुक्ला पर आरोप है कि उन्होंने अपने प्रभाव और भय का दुरुपयोग करते हुए लोगों की जमीनें और संपत्तियां हड़पीं। जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि उन्होंने कानूनी सलाहकार के रूप में जुड़े अखिलेश दुबे के साथ मिलकर एक नेटवर्क खड़ा किया, जिसके जरिए अवैध लेनदेन और निवेश के रास्ते बनाए गए।

अब जब जांच की कमान रमित शर्मा जैसे सख्त अफसर के हाथ में है, तो विभाग में यह चर्चा है कि शुक्ला की कुंडली जल्द ही खुल सकती है। इस पूरे प्रकरण को यूपी पुलिस के भीतर विजिलेंस के सबसे हाई-प्रोफाइल मामलों में से एक माना जा रहा है।